Friday, March 10, 2017


रंगोत्सव
डॉ0 मंजूश्री गर्ग

उत्साह के घर
उमंग के संदेशे
खुशियाँ छाईं
             मन आँगन।   
           
              डॉ0 मंजूश्री गर्ग

विक्रम्-संवत् का पहला दिन और रंग भरी होली का दिन. मानों उमंग ने उत्साह के घर संदेशे भेजे हैं कि आओ मिलकर उत्सन मनायें. चारों ओर उल्लास ही उल्लास दिखाई दे रहा है. जहाँ वनों में पलाश(टेसू) खिल रहा है, वहीं बागों में आम वृक्षों पर बौर आया हुआ है. सारा वातावरण सुगंधित है, कोयल ने मधुर तान छेड़ दी है. खेतों में सरसों के खेत पीली चुनर पहनें लहरा रहे हैं वहीं गेहूँ के खेत हरी चुनर में नजर आ रहे हैं. उपवन-उपवन विविध रंगों के फूल खिल रहे हैं, जहाँ तितलियाँ और भँवरे मस्त मगन घूम रहे हैं। 

घर-घर टेसू के रंग से भरी नादें* रखी हैं. हवाओं में गुझियों की मिठास घुली है और भाँग की ठंडाई ने हवाओं को नशीली बना दिया है, जिसमें डूबकर बच्चे-बूढ़े, अमीर-गरीब सभी मिलकर रंगोत्सव की शोभा बढ़ा रहे हैं.


*पानी रखने का एक बड़ा बरतन जिसमें लगभग 100 ली0 पानी आ जाता है.  

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