हिन्दी साहित्य
Wednesday, March 29, 2017
माँ को भूले, माटी भूले
भूल गये गाँव शहर।
पिज्जा, बर्गर की खुशबू में
भूले रोटी की महक।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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