1.
भावों की
नौका में
करो विचरण
या चिंतन।
जिंदगी
इस पार
या उस पार।
बीच धार में
संभव नहीं।
डॉ0मंजूश्री गर्ग
2.
‘मैं’ कुम्हार के चाक चढ़ी
फिर आग में तपी
तब छोटा दीप बनी।
अब सदा जलना है
करने रोशन जहाँ सारा।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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