Thursday, March 30, 2017


प्राकृतिक चिकित्सा

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

हमारा शरीर पंच भौतिक तत्वों से बना है- जल, वायु, अग्नि, आकाश, पृथ्वी. इन  पाँचों तत्वों के संतुलन से ही व्यक्ति का शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य स्वस्थ रहता है. प्रत्येक व्यक्ति की प्रकृति अलग होती है और अलग-अलग समय पर इन तत्वों का प्रभाव भी अलग-अलग होता है. व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिये अपनी प्रकृति को समझना चाहिये, उसी के अनुसार अपने खाने-पीने का ध्यान रखना चाहिये. जैसे-

जल-  प्रायः हमारे शरीर में 70% पानी की मात्रा होती है किन्तु प्रत्येक व्यक्ति में कम-ज्यादा भी होती है. कभी हमें पानी की अधिक आवश्यकता होती है और कभी कम. अपनी प्रकृति को समझकर ही पानी का उपयोग करना चाहिये.

वायु- वायु का सेवन हम प्रत्येक पल श्वास के माध्यम से करते ही रहते हैं. हर समय संभव ना भी हो, तो दिन में कुछ मिनट या घंटे हमें शुद्ध ताजा हवा में टहलना या बैठना अवश्य चाहिये.

अग्नि- प्रत्येक व्यक्ति में अग्नि होती है, इसके बिना व्यक्ति जी नहीं सकता. इसीलिये मृत व्यक्ति का शरीर ठंडा होता है. आवश्यकतानुसार अग्नि(तेज) का सेवन करना चाहिये. चाहें वो शुद्ध सूर्य की किरणों से प्राप्त हो या भोज्य पदार्थों के माध्यम से.

आकाश- आकाश को शून्य भी कहते हैं. हमें दिन में कुछ मिनट ध्यान अवश्य करना चाहिये जिससे हमारा मन-मस्तिष्क शून्य हो जाता है अर्थात् पुरानी बातों से हट जाता है. शून्य पटल पर ही स्वस्थ विचारों का आगमन होता है.

पृथ्वी- पृथ्वी का सबसे बड़ा गुण गुरूत्वाकर्षण है. जिससे व्यक्ति के पैर धरती पर टिके रहते हैं, वहीं अगला कदम सोच-समझकर उठाता है और धरती के महत्व को समझता है.

अपने इन्हीं पाँचों तत्वों को समझना और उनके अनुसार आचार-विचार करना प्राकृतिक चिकित्सा का मूल मंत्र है.

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