Monday, March 6, 2017



सिंदूरी शाम
सजने लगी।
महकने लगी
रात-रानी।
खुशियों ने
दी दस्तक।
मुस्कायी
जिंदगानी।

          डॉ0 मंजूश्री गर्ग






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