फागुनी हवा......
फागुनी हवा तू इस बरस ऐसी
चलना
मेरे गालों का गुलाल, उनके
गालों पे मल आना।
बहुत शरमीले हैं वो, कैद
कमरे में हों, तो
खिड़की खोल चली जाना तू।
बैठे हों गुम-सुम उदास किसी
बगिया में, तो
तू मधुपों से कह मन उनका
बहला आना।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
ati uttam
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