हिन्दी साहित्य
Thursday, March 2, 2017
कल से
कल ना पड़े
तुम बिन।
ज्यों
मछली को
जल बिन।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
बरसे रंग
होली के संग।
गले मिले हैं
कान्हा-गोपी
वृन्दावन में।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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