Thursday, March 23, 2017


 गीत

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

कैसे मन की बात कहें
मन पे मन का बोझ है।

रात अँधेरी चमके तारे
सजन हमारे कहाँ छुपे हो?
हम तो सजनि! साथ तुम्हारे
पूनम मावस हाथ तुम्हारे।

चाँद-चाँदनी साथ चले
धरती औ आकाश तले।
फूलों में फूलों की खुशबू
ऐसे मन में आन बसे हो।


No comments:

Post a Comment