हिन्दी साहित्य
Saturday, March 18, 2017
सुबह सुहानी छाँव में
पक्षी के मधु कुंजन में
गुमसुम सा बैठा है कोई
गुमसाथी की याद में।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment