Saturday, July 14, 2018



भीगे रहे, भीगे रहे,
भीगे ही रहे हम।
कभी अश्रु से, कभी स्वेद से,
कभी बारिश की बूँदों से।
भीगे ही रहे हम।
                      डॉ0 मंजूश्री गर्ग

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