Tuesday, July 3, 2018



समय की तराजू पे
दुःख का पलड़ा
हरदम रहा भारी
सुख का पलड़ा
हवा में ही रहा झूलता।
                     डॉ0 मंजूश्री गर्ग
वैज्ञानिक व्याख्या-
  सुख के समय मन आनंदित हो, उमंग से भर उछला-उछला ही घूमता है जबकि दुःख के समय मन पीड़ा से बोझिल बैठा-बैठा रहता है।

आर्थिक व्याख्या-
  जीवन में सुख दुःख की अपेक्षा मात्रा की दृष्टि से भी कम ही रहते हैं इसीलिये सुख का पलड़ा हवा में झूलता रहता है।

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