हिन्दी साहित्य
Monday, July 30, 2018
बैठो दो क्षण बाँध लें, फिर हाथों में हाथ।
जाने कब झड़ जायेंगे, ये पियराने पात।।
यतीन्द्र राही
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment