कहाँ गयीं वो.......
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
कहाँ गयीं वो
बर्फ से ढ़की घाटियाँ
स्वर्ग से सुन्दर वादियाँ
खिलते थे जहाँ कभी
फूलों के बाग
महकती थीं
केसर की क्यारियाँ
कलियों सा मुस्कुराता यौवन
दिखता था चाय बागानों में
आते- जाते पर्यटकों का
मन मोहती थीं मुस्कानें
ढ़लती शाम में
शिकारे पे रोमांस
कहाँ गये वो बीते दिन
वो बीती रातें.
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