Monday, July 9, 2018




अक्षर तो केवल
गूँदी कच्ची मिट्टी हैं
हम उनसे
नई-नई मूर्तियाँ बनाते हैं

        गीत तभी
        होठों से होंठों तक जाते हैं।

                   माहेश्वर तिवारी






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