श्री रामवृक्ष बेनीपुरी
डॉ. मंजूश्री गर्ग
जन्म-तिथि- 23 दिसंबर, सन् 1899 ई.
पुण्य-तिथि- 7 सितंबर, सन् 1968 ई.
श्री रामवृक्ष बेनीपुरी हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। आप भारत के महान विचारक, चिन्तक, क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी, समाज सेवी, हिन्दी प्रेमी, पत्रकार व संपादक थे। आपने राष्ट्र निर्माण, समाज संगठन और मानवता के जयगान को लक्ष्य मानकर ललित निबन्ध, रेखाचित्र, संस्मरण, रिपोर्ताज, नाटक, उपन्यास, कहानी, बाल-साहित्य, आदि गद्य की विविध विधाओं में रचनायें रचीं।
श्री रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बेनीपुर गाँव के एक ब्राह्म्ण परिवार में हुआ था। गाँव के नाम को ही आपने अपना उपनाम बेनीपुरी बनाया। आप मैट्रिक की परीक्षा पास करने से पहले ही सन् 1920 ई. में महात्मा गाँधी
के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गये। सन् 1930 ई. से सन् 1942 ई. तक आप जेल में रहे। आपने अधिकांश रचनायें जेल में ही लिखीं।
बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के निर्माण में आपने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रामधारी सिंह दिनकर जी ने रामवृक्ष बेनीपुरी के बिषय में कहा था- "स्वर्गीय पं. श्री रामवृक्ष बेनीपुरी केवल साहित्यकार नहीं थे, उनके भीतर केवल वही आग नहीं थी जो कलम से निकल कर साहित्य बन जाती है। वे उस आग के भी धनी थे जो राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों को जन्म देती है, जो पंरपराओं को तोड़ती है और मूल्यों पर प्रहार करती है। जो चिंतन को निर्भीक एवम् कर्म को तेज बनाती है। बेनीपुरी जी के भीतर बेचैन कवि, बेचैन चिंतक, बेचैन क्रान्तिकारी और निर्भीक योद्धा सभी एक साथ निवास करते थे।"
श्री रामवृक्ष बेनीपुरी के सम्मान में सन् 1999 ई. में भारतीय डाक सेवा द्वारा डाक टिकट जारी किया गया। बिहार सरकार द्वारा वार्षिक अखिल भारतीय रामवृक्ष बेनीपुरी पुरस्कार दिया जाता है।
श्री रामवृक्ष बेनीपुरी की प्रमुख रचनायें हैं-
गेहूँ और गुलाब(निबन्ध और रेखाचित्र)
वन्दे वाणी विनायकौ(ललित गद्य)
पतितों के देश में(उपन्यास)
चिता के फूल(कहानी संग्रह)
माटी की मूरतें(रेखाचित्र)
अंबपाली(नाटक)
आपकी संपूर्ण साहित्यिक रचनायें बेनीपुरी ग्रंथावली नाम से प्रकाशित हो चुकी है।
श्री रामवृक्ष बेनीपुरी पत्रकारिता जगत से साहित्य जगत में आये थे, आपने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का भी संपादन किया। जैसे- किसान मित्र, बालक, युवक, कैदी, कर्मवीर. हिमालय, नई धारा, आदि।
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