बोनसाई
बरगद हो या पीपल
आम हो या जामुन।
बढ़ रहे घर-आँगन
जितना चाहें हम।
जैसे तराशें ख्बाब
बोनसाई से हम।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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