हिन्दी साहित्य
Friday, July 22, 2022
काँप उठती हूँ मैं सोचकर तन्हाई में,
मेरे चेहरे पर तेरा नाम न पढ़ ले कोई।
परवीन शाकिर
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment