Tuesday, July 5, 2022



गीत


डॉ. मंजूश्री गर्ग


कोयल की सुन तान

तुम्हारे गीत रचे।


सतरंगी सपनों सी

कोई चाह जगी

अँधियारे पथ में

ज्योर्तिमय राह जगी

पाँव महावर से फिर

मैंने मीत! रचे।

कोयल की सुन तान

तुम्हारे गीत रचे।


मन की डोर बँधी

सारे संयम टूटे

तुझसे बँधे तो

सब रिश्ते-नाते छूटे

तुझसे हारूँ, तो भी

मेरी जीत रचे।

कोयल की सुन तान

तुम्हारे गीत रचे।



 

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