महावीर प्रसाद द्विवेदी
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
जन्म-तिथि- 15 मई, सन् 1864 ई0, रायबरेली
पुण्य-तिथि- 21 दिसम्बर, सन् 1938 ई0, रायबरेली
महावीर प्रसाद द्विवेदी
हिन्दी के महान साहित्यकार, पत्रकार व युग प्रवर्तक थे. आपके अतुलनीय योगदान के
कारण ही आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने हिन्दी साहित्य का इतिहास लिखते हुये
आधुनिक काल के दूसरे खण्ड का नाम द्विवेदी युग रखा. आपने न केवल हिन्दी
भाषा के प्रयोग के लिये लेखकों व कवियों को प्रोत्साहित किया वरन् उसकी शुद्धता की
ओर भी हिन्दी लेखकों व कवियों का ध्यान आकर्षित किया.
महावीर प्रसाद द्विवेदी जी
से पहले भारतेन्दु युग में हिन्दी भाषा में गद्य तो लिखा जा रहा था लेकिन पद्य के
लिये अधिकांशतः ब्रजभाषा का ही प्रयोग किया जा रहा था. द्विवेदी जी ने हिन्दी खड़ी
बोली में कवितायें लिखने के लिये कवियों को प्रोत्साहित किया. आपके प्रोत्साहन के
परिणाम स्वरूप ही अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ ने हिन्दी खड़ी बोली में प्रिय प्रवास महाकाव्य
लिखने का प्रयास किया. मैथिलीशरण गुप्त ने भी अपने काव्य के लिये हिन्दी खड़ी बोली
ही अपनायी और अनेक खण्ड काव्यों, कविताओं के साथ-साथ साकेत महाकाव्य की
रचना की.
महावीर प्रसाद द्विवेदी जी
केवल कविता, कहानी, आलोचना को साहित्य मानने के विरूद्ध थे. आपने अर्थशास्त्र,
विज्ञान, इतिहास, समाजशास्त्र, आदि विषयों को भी साहित्य के अन्तर्गत माना. आपको
हिन्दी के साथ-साथ संस्कृत, मराठी, गुजराती, अंग्रेजी भाषाओं का भी ज्ञान था. आपने
मौलिक रचनाओं के साथ-साथ विपुल मात्रा में अनुदित ग्रंथ भी लिखे थे. जिनमें प्रमुख
हैं- शिक्षा( हर्बर्ट स्पेंसर के एजुकेशन का अनुवाद) और स्वाधीनता(जॉन
स्टुअर्ट मिल के ऑन लिबर्टी का अनुवाद). संस्कृत साहित्य पर पहली हिन्दी
आलोचना पुस्तक के रूप में संस्कृत महाकाव्य नैषधीय चरितम् पर नैषध चरित
चर्चा लिखी.
महावीर प्रसाद द्विवेदी जी
ने सरस्वती पत्रिका का संपादकत्व करते हुये साहित्यिक और राष्ट्रीय चेतना
को स्वर प्रदान किया. आपने कहा-
हमारी भाषा हिन्दी है. उसके
प्रचार के लिये गवर्नमेंट जो कुछ कर रही है, हमें चाहिये कि हम अपने घरों का
अज्ञान तिमिर दूर करने और अपना ज्ञान बल बढ़ाने के लिये इस पुण्य कार्य में लग
जायें.
No comments:
Post a Comment