हिन्दी साहित्य
Thursday, August 30, 2018
हाइकु
घूघँट उठा
देखी चंद्र कलायें
एक रात में।
आओ सनम
!
पलक पाँवड़े हैं
बिछाये मैंने।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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