हिन्दी साहित्य
Wednesday, August 29, 2018
सब कुछ कह दूँगी,
राज सारे खोल दूँगी।
लगता नहीं
;
क्योंकि
?
सामने जब तुम होते हो
कुछ भी कहने की हालत में
तब हम नहीं होते।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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