मन मोहनी प्रकृति की गोद में जो बसा है।
सुख स्वर्ग-सा जहाँ है वह देश कौन-सा है।
जिसका चरण निरंतर रतनेश धो रहा है।
जिसका मुकुट हिमालय वह देश कौन-सा है।
नदियाँ जहाँ सुधा की धारा बहा रही हैं।
सींचा हुआ सलोना वह देश कौन-सा है।
राम नरेश
त्रिपाठी
सापेक्ष विश्व निर्मित है
कल्पना कला के लेखे।
यह भूमि दूसरा शशि है
कोई शशि से जा देखे।
जगदीश गुप्त
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