Tuesday, August 14, 2018


राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत कवितायें-


मन मोहनी प्रकृति की गोद में जो बसा है।
सुख स्वर्ग-सा जहाँ है वह देश कौन-सा है।

जिसका चरण निरंतर रतनेश धो रहा है।
जिसका मुकुट हिमालय वह देश कौन-सा है।

नदियाँ जहाँ सुधा की धारा बहा रही हैं।
सींचा हुआ सलोना वह देश कौन-सा है।

                          राम नरेश त्रिपाठी

सापेक्ष विश्व निर्मित है
कल्पना कला के लेखे।
यह भूमि दूसरा शशि है
कोई शशि से जा देखे।
                  जगदीश गुप्त


No comments:

Post a Comment