Sunday, August 5, 2018




जैसे-जैसे प्रेम बढ़ेगा,
रंग और चढ़ेगा।
मेंहदी है भावों की,
शब्दों के फूल रचेंगे।

                       डॉ0 मंजूश्री गर्ग

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