हिन्दी साहित्य
Tuesday, August 7, 2018
आ जाओ सनम
!
आ जाओ सनम
!
महावर कर रही इंतजार,
पायल की छम-छम रूठी है।
आ जाओ सनम
!
मेंहदी कर रही इंतजार,
कंगन की खन-खन रूठी है।
आ जाओ सनम
!
बिंदिया कर रही इंतजार,
अधरों की मुस्कान रूठी है।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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