Monday, December 10, 2018



मेरे आँगन का गुलाब हो तुम,
काँटों के बीच मुस्काती हो।
रंग भरती हो मेरे जीवन में,
महकाती हो उपवन मेरा।

                      डॉ0 मंजूश्री गर्ग


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