हिन्दी साहित्य
Sunday, December 30, 2018
कालोनियां नगर की उसे मिल के खा गईं
वो खेत जो किसी का बुरा सोचता न था.
-ज्ञान प्रकाश विवेक
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment