हिन्दी साहित्य
Monday, December 24, 2018
रिश्वतखोरी से उत्पन्न सामाजिक संवेदना की अभिव्यक्ति प्रस्तुत शेअर में व्यंग्यात्मक
ढ़ंग से की गयी है-
थोड़े वेतन से बँगला खड़ा कर लिया
खूब तुमने किया है कमाल बाबू।
-डॉ0 गिरिजानन्दन त्रिगुणायत
‘
आकुल
’
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