अकेले में व्यक्ति अपने
साथी के साथ बिताये प्रेम के पलों को याद करता है, इसी भाव की अभिव्यक्ति कवियों
ने प्रस्तुत पंक्तियों में की है-
झील के तट पर खड़े थे इस तरह मैं और तुम
बिन छुये ही झील का जल थरथराने लग गया।
डॉ0
कुँअर बेचैन
मन की मन ने जब सुनी, सुन साजन झनकार,
छनक उठी पायल तभी, खनके कंगन हजार।
श्याम सखा ‘श्याम’
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