कवि घनानन्द ने अपनी
कविताओं में अपने विरह का वर्णन विविध भाँति किया है जहाँ वो प्रेम के मार्ग अति
सरल बताते हैं-
अति सूधो सनेह का मारग है, जहाँ नेकु सयानप बाँक नहीं।
घनानन्द
वहीं प्रिया की अत्यधिक
चतुराई दिखाने पर उसे उलाहना भी देते हैं-
तुम कौन धौं पाटी पढ़े हो, कहौ मन लेहूँ पै देहूँ छटाँक नहीं।
घनानन्द
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