नायिका के सौन्दर्य का वर्णन
स्याम घटा लिपटी थिर बीज की सौहे अमावस-अंक उजियारी।
धूम के पुंज में ज्वाल की माल पै द्विग शीतलता-सुख-कारी।
कै छवि छायौ सिंगार निहारी सुजान-तिया-तन दीपति-त्यारी।
कैसा फबी घनानन्द चोपनि सों पहिरी चुनी साँवरी सारी।
घनानन्द
कुंदन का रंग फीको लगै, झलकै अति अंगन चारू बुराई,
साखिन में अलसानि चितौनी में मंजु विलसन की सरसाई।
को बिन मोल विकात नहीं, मतिराम लहै मुस्कानि मिठाई,
ज्यों-ज्यों निहारिये तेरे ह्वै नैननि, त्यों-त्यों खरी निकरे सी निकाई।
मतिराम
एक सुभान के आनन पै कुरबान जहाँ लगि रूप जहाँ को।
कैयो सतक्रतु की पदवी लुटिए लखि कै मुसकाहट ताको।
सोक जरा गुजरा न जहाँ कवि बोधा जहाँ उजरा न तहाँ को।
जान मिले तो जहान मिलै, नहिं जान मिलै तो जहान कहाँ कौ।
बोधा
--------
No comments:
Post a Comment