राम-कथा के स्वर्ण युग की
कथा के प्रतीक के माध्यम से सुख के मायावी रूप का वर्णन कवयित्री ने किया है-
सुख का वह कंचन-मृग
छलता है, छलता है
मन का धनुर्धर यह
हाथ ले कुटिल कमान
तनी डोर पर
धर नुकीले बान
पीछे-पीछे उसके चलता है,
चलता है।
रमा सिंह
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