हिन्दी साहित्य
Wednesday, December 19, 2018
दिलों की कुंडियाँ खोलो, जेह्न की साँकले खोलो।
बड़ी भारी घुटन है, मन की सारी खिड़कियाँ खोलो।।
डॉ0 कुँअर बेचैन
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