हिन्दी साहित्य
Tuesday, December 18, 2018
मानती हूँ मैं
तुम दिखते कहीं नहीं,
पर, मेरे हर हाल से
वाकिफ हो तुम
जानती हूँ मैं।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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