Friday, April 14, 2017


गीत

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

तुम्हारी याद सताती है
आ-आ के रूलाती है।

पेड़ों के झुरमुट में
चिड़ियाँ चहक रही सारी
विरह गीत सुनाती हैं
आ-आ के रूलाती है।
तुम्हारी याद सताती है।


हवा चले जब मंद-मंद
पत्तों की सरगम भी
मन नहीं बहलाती है
आ-आ के रूलाती है।
तुम्हारी याद सताती है।

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