गीत
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
मौसम आलीशान है दिल की शान अधूरी क्यूँ
सपनों के राजा के सपने मन में आज अधूरे क्यूँ
रिमझिम-रिमझिम बदरा बरसे
हरियाली
लहराये रे
मन क्यूँ तरसाये रे
आये रे
जाये रे।
स्वाती बूँद की आस लिये
चातक पिउ-पिउ रटे
रे
मैं मिलूँ-मिलूँ की
आस रे
आये
रे
जाये
रे
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