गीत
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
तम्हारे आने से
सज गयी हैं क्यारियाँ मेरी।
फूल और लगे हैं महकने
तितलियाँ लगी हैं इठलाने।
चिड़ियों का कलरव
अब और मधुर हुआ है।
पात-पात पे मुस्कानों की
धूप लगी है बिखरने।
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