गीत
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
शाख कब खिला फूल मत पूछ,
बिखरी-बिखरी हर पंखुरी है मत पूछ।
शाम है या सुबह मत पूछ,
कितनी उदासी है लाली में मत पूछ।
नींद कब आयी आँखों में मत पूछ,
सपने ही तिरते रहे मत पूछ।
सपने कब साकार हुये मत पूछ,
हर सुबह हम खोते रहे मत पूछ।
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