Friday, April 21, 2017


गीत

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

शाख कब खिला फूल मत पूछ,
बिखरी-बिखरी हर पंखुरी है मत पूछ।

शाम है या सुबह मत पूछ,
कितनी उदासी है लाली में मत पूछ।

नींद कब आयी आँखों में मत पूछ,
सपने ही तिरते रहे मत पूछ।

सपने कब साकार हुये मत पूछ,
हर सुबह हम खोते रहे मत पूछ।

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