Wednesday, April 19, 2017


गीत

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

तेरे पास आने को
जी चाहता है।

तोड़ के
बंधन
 सारे
जग के
तेरे पास आने को
जी चाहता है।


लिपटती देख
लतायें
वृक्ष से
तेरे पास आने को
जी चाहता है।

चूमते देख
भँवरों को
कलियाँ
तेरे पास आने को
जी चाहता है।

नीड़ों को जाते
देख
पक्षी
तेरे पास आने को
जी चाहता है।
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