Wednesday, April 19, 2017


गीत

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

होने लगा है प्यार हमें तुमसे
हर ऋतु सुहानी लगने लगी।

गर्मी के तप्त मौसम में
साथ तेरा शीतल लगने लगा।
बरखा की मस्त फुहारों में
मन मेरा मदमस्त होने लगा।

होने लगा है प्यार हमें तुमसे
हर ऋतु सुहानी लगने लगी।

शरद् के सुहाने मौसम में
तू मुझे प्यारा और लगने लगा।
शिशिर के सर्द मौसम में
साथ तेरा गरमाने लगा।

होने लगा है प्यार हमें तुमसे
हर ऋतु सुहानी लगने लगी।

हेमन्त के मौसम में मन
ख्बाब नये बुनने लगा।
बसन्त बहार के मौसम में
जीवन बहारों से भरने लगा।

होने लगा है प्यार हमें तुमसे
हर ऋतु सुहानी लगने लगी।





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