Sunday, April 16, 2017


नजर के बदलते ही................

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

जैसे मौसम के बदलते ही,
नदी की धारायें बदलती हैं.

हवा का रूख बदलते ही
कलियों का खिलना बदलता है.

उपवन में अलि के आते ही
फूल का मुस्कुराना बदलता है.

वैसे ही नजर के बदलते ही
प्रेम-धारायें बदलती हैं.

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