Monday, April 24, 2017


चाँद की खोज में
बदली
इत-उत डोले
देख चाँदनी अपने में.

पर नहीं जानती वह बेचारी
चरण पड़ रहे गलत उसके
उसकी ही छाया
ढाँप रही चाँद को.

                        डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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