Monday, April 24, 2017


समय पुकार रहा-------

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

समय पुकार रहा है तुमको
देखो! वीर जवानों!
कॉफी हाउस में बैठ-बैठ कर
यह मत भूलो वीरों,
तुमने ही आजाद किया है,
काट बेड़ियाँ माँ की.
तुमने ही माँ की तपन हरी
बूँद-बूँद रस देकर.

समय पुकार रहा है तुमको
देखो! वीर जवानों!
नेताओं के झंडे लेकर
नारों में मत भूलों वीरों;
देश-भक्ति के मुखौटे पहने
सैय्याद छिपे हैं भूमि में
नारों और जुलूसों के नशे में
मत गिरो मृत्यु-पड़ावों पर.

समय पुकार रहा है तुमको
देखो! वीर जवानों!
जिस भूमि की तपन हरी,
शरद् मधुर छाने वाली हैं.
बीज बो दो आज वहीं
बसंत शत-शत खिलाने को.
आने वाली बयार महकें,
कर तुम्हारे रस का पान.

समय पुकार रहा है तुमको
देखो! वीर जवानों!
अंधकार की कोठरियों पड़
क्यों अपने को गला रहे.
भावी-पीढ़ी के सृजन हारा
भावी-पीढ़ी के निर्देशक
भावी-पीढ़ी के पथ-प्रदर्शक
उनका पथ आलोकित करो.




No comments:

Post a Comment