सोलह हजार एक सौ कन्याओं का विवाह
श्री कृष्ण के साथ
डॉ. मंजूश्री गर्ग
भौमासुर(नरकासुर) नाम का पृथ्वी का अत्यन्त
बलवान पुत्र था, जिसकी राजधानी प्राग्योतिषपुर थी. भौमासुर ने पृथ्वी के अनेक
राजाओं को परास्त कर दिया और उनकी कन्याओं का अपहरण कर अपने घर में कैद कर लिया.
धीरे-धीरे राज-कन्याओं की संख्या सोलह हजार एक सौ हो गयी, तब वह सोचने लगा कि जब
इनकी संख्या एक लाख हो जायेगी, तो एक साथ इन सबसे विवाह करूँगा. जब श्रीकृष्ण को
ज्ञात हुआ कि भौमासुर ने राज-कन्याओं को बंदी बना रखा है तो तुरन्त ही वह भौमासुर
के राज्य में गये और भौमासुर को मारकर राज-कन्याओं को आजाद किया. तब राज-कन्याओं ने
श्रीकृष्ण से प्रार्थना की कि हे प्रभु आपने हमें मुक्त कराकर हमारे ऊपर असीम
कृपा बरसाई है अब आप कृपा कर हमें अपने चरणों की दासी बनाकर अपनी सेवा में रहने की
आज्ञा दें, क्योंकि राक्षस के यहाँ रहने के कारण समाज में हमारे लिये अन्यत्र कोई
स्थान नहीं है. तब श्रीकृष्ण उन सोलह हजार एक सौ कन्याओं को लेकर द्वारिका आ
गये. वहाँ राजा उग्रसेन की आज्ञा से उन सोलह हजार एक सौ कन्याओं का विवाह
श्रीकृष्ण से कर दिया गया, वे सब दिन-रात श्रीकृष्ण की सेवा करने लगीं।
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