हिन्दी साहित्य
Tuesday, December 31, 2024
हर किरण उजाली हो।
हर सुबह सुनहली हो।
हर दिन महके खुशियों से
रात का साया भी न सपनों पे हो।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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