श्री कृष्ण-कालिन्दी विवाह
डॉ. मंजूश्री गर्ग
कालिन्दी सूर्य की पुत्री थीं. पिता की आज्ञा से
श्री कृष्ण को परमब्रह्म परमेश्वर का अवतार मानकर, उन्हें पतिरूप में प्राप्त करने
के लिये यमुना-जल में रत्न जड़ित स्वर्ण मंदिर में बैठकर तपस्या करने लगीं. एक बार
श्री कृष्ण और अर्जुन शिकार खेलकर वन में विश्राम करने लगे. अर्जुन यमुना तट पर जल
लेने के लिये गये तो उन्होंने अद्भुत दृश्य देखा कि जल के बीच में एक परम सुन्दरी
तपस्या कर रही है. अर्जुन ने उस कन्या के पास जाकर पूछा- “हे सुन्दरी! तुम्हारा नाम क्या है? और क्यों
तपस्या कर रही हो”? तब कालिन्दी ने
अपना परिचय दिया और श्री कृष्ण को पतिरूप में प्राप्त करने की अभिलाषा अभिव्यक्त
की. अर्जुन ने कालिन्दी के मन का सब हाल श्री कृष्ण से कहा. श्री कृष्ण शीघ्र ही
कालिन्दी के पास पहुँचे. कालिन्दी श्री कृष्ण को देखकर उनके चरणों में गिर गयीं,
श्री कृष्ण ने भी प्रसन्न होकर कालिन्दी का हाथ पकड़ लिया. तब श्री कृष्ण और
कालिन्दी सूर्य देवता के पास गये, वहाँ सूर्यदेव ने श्री कृष्ण और कालिन्दी का
विवाह विधिवत करा दिया.
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