Wednesday, December 4, 2024


तेरी नजरों में सँवरते रहे हम

तेरी बाँहों में पिघलते रहे हम।

नित अस्तित्व अपना खोकर

तुझ में ही ढ़लते रहे हम।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

No comments:

Post a Comment