हिन्दी साहित्य
Tuesday, December 3, 2024
सच की दहलीज पर जब झूठ दम तोड़ेगा।
दिशायें जगमगायेंगी सच पुरजोर मुस्कुरायेगा।।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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