Wednesday, December 18, 2024

 

                        श्रीकृष्ण-गोपी प्रेम प्रसंग

डॉ. मंजूश्री गर्ग

 

जब गोकुलवासियों को श्रीकृष्ण के जन्म का समाचार मिला तो सब हर्षित होकर नन्द-यशोदा के घर एकत्र होकर बधाई देने पहुँच गये. गोपियाँ आनन्दमग्न होकर नृत्य करने लगीं. श्रीकृष्ण की मोहिनी सूरत देखने के लिये नित्य-प्रति नन्द के यहाँ आने लगीं. कभी श्रीकृष्ण को झूले में झुलातीं, कभी उनका माथा चूमतीं, कभी नजर का टीका लगातीं.

श्रीकृष्ण थोड़ा बड़े हुये तो आस-पास के घरों में जाने लगे, गोपियाँ उन्हें प्रेम से माखन-मिश्री खिलातीं और सुख पाती थीं. कभी-कभी श्रीकृष्ण अकेले ही गोपियों के घर घुस जाते थे और दही-माखन खाकर बाकी का बिखरा जाते थे या दही-माखन के मटकों को सखाओं के साथ मिलकर फोड़ जाते थे. जब गोपियाँ वापस घर आती थीं तो दही-माखन बिखरा देख व मटकियाँ टूटी देख बहुत क्रोधित होती थीं. गोपियाँ शिकायत लेकर यशोदा के पास जाती थीं कि देखो! कान्हा ने हमारे यहाँ दही-माखन की चोरी ही नहीं कि वरन् मटकियाँ भी तोड़ दीं. माँ के पूछने पर साफ मना कर देते, माँ! गोपियाँ झूठ बोल रही हैं, मटकी ऊपर छींके पर रखी थी, भला मेरे छोटे हाथ वहाँ कैसे पहुँच सकते हैं. यदि कुछ दिन श्रीकृष्ण गोपियों के घर नहीं जाते थे तो वे स्वयं श्रीकृष्ण से कहने लगती कि कान्हा जाओ घर में माखन रखा है खा लो. कभी बुलाकर उनसे नृत्य करवातीं और आनंद सुख प्राप्त करतीं.

 

श्रीकृष्ण कुछ बड़े हुये तो गोपियों के साथ बैठकर दूध दुहना सीखने लगे. श्रीकृष्ण को भी गोपियों के साथ छेड़छाड़ करने में आनंद आता था. यमुना से जल लाती हुई गोपियों की मटकियां फोड़ देते थे जिससे गोपियों के सारे वस्त्र गीले हो जाते थे. जब श्रीकृष्ण बाँसुरी बजाते थे तो गोपियाँ अपनी सुध-बुध खो देती थीं और घर का सब काम-काज छोड़कर जहाँ कान्हा बाँसुरी बजाते थे वहीं चली जाती थीं.

गोपियाँ श्रीकृष्ण को साक्षात् परमब्रह्म परमेश्वर का अवतार मानती थीं और पति भाव से उनसे प्रीति करती थीं. श्रीकृष्ण भी गोपियों के मन के भाव को समझकर उनके साथ अनेक लीलायें करते थे जैसे-चीरहरण लीला, महारास लीला, दही-माखन की चोरी, आदि. जब श्रीकृष्ण कंस के बुलाने पर वृन्दावन छोड़कर मथुरा चले गये तो सभी गोपियाँ ऐसे श्रीहीन हो गयीं मानों उनके शरीर में प्राण ही न हों. यहाँ तक कि जब श्रीकृष्ण के कहने पर उद्धव वृन्दावन आये और निर्गुण ब्रह्म का ज्ञानपोदेश गोपियों को सुनाया तो अपनी सीधी सरल, सच्ची भक्ति में डूबी उक्तियों से गोपियों ने उद्धव को निरूत्तर कर दिया.


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