Friday, December 6, 2024


अनजानी डगरों पर भटकते हैं तो राह दिखा देती हैं.

अँधेरी राहों में लड़खड़ाते हैं तो सँभाल लेती हैं।

दुआएँ मेरे साथ हैं उजालों की तरह,

साया सा बनकर रहती हैं साथ-साथ मेरे।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

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