Monday, December 2, 2024


  1. कालजयी कृति

डॉ. मंजूश्री गर्ग

समसामयिक, शाश्वत, सार्वकालिक, सार्वभौमिक रचना ही कालजयी कृति बन सकती है----

समसामयिक

समसामयिक से अभिप्राय है जिस काल में कवि या लेखक जीता है उसकी रचनाओं में उस समय की राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक पृष्ठभूमि की झलक अवश्य होती है, इसीलिये साहित्य को समाज का दर्पण कहा गया है.

शाश्वत

शाश्वत से अभिप्राय कवि या लेखक की रचनाओं में ऐसी संवेदनाओं की अभिव्यक्ति से है, जो ब्रह्म की तरह अजर, अमर हैं. जैसे- प्रेम की अनुभूति, विरह की अनुभूति.

सार्वकालिक

सार्वकालिक से अभिप्राय कवि या लेखक की रचनाओं में ऐसी संवेदनाओं की अभिव्यक्ति से है जो कल भी थीं, आज भी हैं और कल भी रहेंगी.


सार्वभौमिक

सार्वभौमिक से अभिप्राय कवि या लेखक की रचनाओं में ऐसी संवेदनाओं की अभिव्यक्ति से है जो पृथ्वी पर सब जगह एक समान देखने को मिलती हैं चाहें हम पृथ्वी के किसी भी कोने में क्यों न हों.




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